४१ ॥ श्री गलवली शाह जी ॥
पद:-
नागिनी मातु जगदम्बा शिवा का अंश है जाना।
किया सतगुरु लहा सुख क्या नाम धुनि नूर लै ध्याना।
चक्र षट बेधि गे सुन्दर कमल सातौं खिले जाना।
देव मुनि देत नित दर्शन लोक सब घूमि फिरि आना।
छटा सिय राम की सन्मुख हर समै रहती मन माना।५।
किया सुमिरन लगा तन मन मिला पद तब यह निरवाना।
जाप अजपा जापा यारों सुरति से शब्द गहि छाना।
गलवली शाह कह ठानो चेत कर नाम का ताना।८।