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६० ॥ श्री राम विलास जी ॥


पद:-

सीता रमण राधे रमण लक्ष्मी रमण प्रभु दाया करो।

मन ठगन के संग रमि गयो निज कर कमल छाया करो।

अब की उबारो नाथ मोहि लखि दीन दुख माया हरो।

आप के चरनों में रति हो सुफल मम काया करो।

ध्यान धुनि परकाश पाऊँ दरश दिखलाया करो।

सतगुरु मिला दो कृपानिधि यह वचन मन भाया करो।६।