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८३ ॥ श्री छम्मक जान जी॥


पद:-

सारी उमिरिया गुजारी भजन बिन अन्त चलै जम धामै राम।१।

सतगुरु किह्यो न तन मन मारयो ऐसे अधम निकामै राम।२।

ध्यान प्रकाश समाधि न जान्यो रूप कि छवि धुनि नामै राम।३।

छम्मक जान कहैं हर दम भजि लीजै अचल मुकामै राम।४।