११९ ॥ श्री लाला रघुवर दयाल जी ॥
पद:-
श्याम के संघ श्यामा हैं गले में बाँह को लाये।
करै मुरशिद लखै झाँकी हर समय सामने छाये।
छटा सिंगार छवि वरनन करन में शेष सकुचाये।
देव मुनि हर समय जिनका स्मरन ध्यान जस गावैं।
मगन जिनकी कृपा से सब प्रेम तन मन में उमड़ाये।५।
सुफल नर तन करो यारों भजो तजि कपट दुःख जाये।
ध्यान परकाश लै जानो जहाँ सुधि बुधि न कछु आये।
नाम धुनि सब रगन रोवन खुलै एक तार भन्नाये।
रमे सब में प्रिया प्रीतम जगत खुद आप उपजाये।
निराले भी रहें सब से ख्याल फिर भी न बिसरायें।१०।
समै ऐसा न फिर मिलिहै यही कहि हम तो समुझाये।
यहां पर जो कमा लेगा वहाँ वह बैठि कर खाये।१२।