१२७ ॥ श्री कमला नेहरू जी ॥
पद:-
मन में असमरन रहे हरि का तन से परस्वारथ करै।१।
समै पर सब कार्य होते पग पछारी मत धरौ।२।
कमला कहैं तन त्यागि हम हरि धाम में दाखिल भईं।३।
बरनन करौं किसि विधि वहाँ हर दम रहै मंगल मई।४।
पद:-
मन में असमरन रहे हरि का तन से परस्वारथ करै।१।
समै पर सब कार्य होते पग पछारी मत धरौ।२।
कमला कहैं तन त्यागि हम हरि धाम में दाखिल भईं।३।
बरनन करौं किसि विधि वहाँ हर दम रहै मंगल मई।४।