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१४१ ॥ श्री मुस्तफा अली जी ॥


पद:-

हे राम हे कृष्ण हे विष्णु हे गोपाल।

हे वराह हे नृसिंह हे वामन हे दयाल।

हे कमठ हे मीन हे सच्चिदानन्द हे विशाल।

हे धनुषधर हे चक्रधर हे वंशीधर हे अकाल।

हे दीनबन्धु हे करुणा सिन्धु हे आनन्द कन्द सुर मुनि मानस मराल।५।

हे निर्गुण हे निराकार हे निर्विकार हे त्रिभुवन भुवाल।

हे सब की खानि हे सब की जान हे सब से न्यार हे सब से आल।

हे गोविन्द हे मदन मोहन हे मुरारी हे प्रणत पाल।८।