१८२ ॥ श्री प्यारी जान जी ॥
पद:-
जानकी जान के जान की शक्ति है।
नाम औ नाम के नाम की शक्ति है।
रूप औ रूप के रूप की शक्ति है।
लीला औ लीला के लीला की शक्ति है।
धाम औ धाम के धाम की शक्ति है।
ध्यान औ ध्यान के ध्यान की शक्ति है।
नूर औ नूर के नूर की शक्ति है।
शून्य औ शून्य के शून्य की शक्ति है।
सत्य औ सत्य के सत्य की शक्ति है।
धर्म औ धर्म के धर्म की शक्ति है।१०।
शान्ति औ शान्ति के शान्ति की शक्ति है।
शील औ शील के शील की शक्ति है।
सन्तोष औ सन्तोष के सन्तोष की शक्ति है।
श्रध्दा औ श्रध्दा के श्रध्दा की शक्ति है।
छिमा औ छिमा के छिमा की शक्ति है।
दया औ दया के दया की शक्ति है।
धैर्य्य औ धैर्य्य के धैर्य्य की शक्ति है।
प्रेम औ प्रेम के प्रेम की शक्ति है।
युक्ति औ युक्ति के युक्ति की शक्ति है।
भुक्ति औ भुक्ति के भुक्ति की शक्ति है।
मुक्ति औ मुक्ति के मुक्ति की शक्ति है।
भक्ति औ भक्ति के भक्ति की शक्ति है।
जाप औ जाप के जाप की शक्ति है।
ख्याल औ ख्याल के ख्याल की शक्ति है।
राग औ राग के राग की शक्ति है।
साज औ साज के साज की शक्ति है।
ताल औ ताल के ताल की शक्ति है।
ग्राम औ ग्राम के ग्राम की शक्ति है।
तान औ तान के तान की शक्ति है।
स्वरन औ स्वरन के स्वरन की शक्ति है।२०।
ध्वनी औ ध्वनी के ध्वनी की शक्ति है।
सम औ सम के सम की शक्ति है।
स्वांस, औ स्वांस के स्वांस की शक्ति है।
विद्या, औ विद्या के विद्या की शक्ति है।
काल, औ काल के काल की शक्ति है।
मृत्यु औ मृत्यु के मृत्यु की शक्ति है।
कला औ कला के कला की शक्ति है।
सुक्ख औ सुक्ख के सुक्ख की शक्ति है।
दुःख औ दुःख के दुःख की शक्ति है।
क्रोध औ क्रोध के क्रोध की शक्ति है।३०।
मोह औ मोह के मोह की शक्ति है।
लोभ औ लोभ के लोभ की शक्ति है।
मान औ मान के मान की शक्ति है।
अहं औ अहं के अहं की शक्ति है।
द्रोह औ द्रोह के द्रोह की शक्ति है।
क्षोभ औ क्षोभ के क्षोभ की शक्ति है।
योग औ योग के योग की शक्ति है।
भोग औ भोग के भोग की शक्ति है।
खेल औ खेल के खेल की शक्ति है।
मेल औ मेल के मेल की शक्ति है।५०।
नींद औ नींद के नींद की शक्ति है।
त्याग औ त्याग के त्याग की शक्ति है।
कपट औ कपट के कपट की शक्ति है।
झूठ औ झूठ के झूठ की शक्ति है।
प्रकृति औ प्रकृति के प्रकृति की शक्ति है।
स्वाद औ स्वाद के स्वाद की शक्ति है।
जारी........