२६७ ॥ श्री रुपाना माई कंकालिन जी ॥
पद:-
छोड़ कर टण्ट औ घण्ट दुनिया के सब
कर के सतगुरु सदा नाम का जाप कर ।१।
ध्यान धुनि नूर लय में समाना पड़ै
फेरि आवो उतर ताप सब जाँय जर।२।
रूप सन्मुख रहै राम औ जानकी
राधिका श्याम श्री विष्णु गिरिजा औ हर।३।
देव मुनि दर्श दै कर के जय जय करैं
सत्य मानो वचन जाव जियतै में तर।४।