२८० ॥ श्री पंचमा मंगता जी ॥
पद:-
भजन बिन मंगिहौ घर घर भीख।१।
सतगुरु करौ जाप विधि जानौ मानौ मेरी सीख।२।
ध्यान धुनी परकाश दशा लय अनुपम अमृत चीख।३।
नाहीं तो यम अन्त आय के मींजै जैसे लीख।४।
पद:-
भजन बिन मंगिहौ घर घर भीख।१।
सतगुरु करौ जाप विधि जानौ मानौ मेरी सीख।२।
ध्यान धुनी परकाश दशा लय अनुपम अमृत चीख।३।
नाहीं तो यम अन्त आय के मींजै जैसे लीख।४।