४३१ ॥ श्री मनमानी जी ॥
पद:-
देखो देखो बहार घट देखो जी।
सतगुरु करि सुमिरन में लागो टूटै द्वैत केंवार। घट देखो जी॥
लय परकाश ध्यान धुनि होवै रोम रोम झनकार। घट देखो जी।
सुर मुनि मिलैं छकौ नित अमृत लो अनहद गुमकार। घट देखो जी।
हर दम नैनन सन्मुख राजैं सिया सहित सरकार। घट देखो जी।
अन्त छोड़ि तन लेहु अचलपुर जहं पर सुक्ख अपार घट देखो जी।६।