४३५ ॥ श्री मुरारी जी ॥
पद:-
चलो पाय नर तन लखौ निज वतन को।१।
करौ ध्यान पहिले गुरु के पगन को।२।
धुनि ध्यान लय नूर पावो लखन को।३।
सुनो साज अनहद अमी लो चखन को।४।
पद:-
चलो पाय नर तन लखौ निज वतन को।१।
करौ ध्यान पहिले गुरु के पगन को।२।
धुनि ध्यान लय नूर पावो लखन को।३।
सुनो साज अनहद अमी लो चखन को।४।