४३६ ॥ श्री जसोवा खेचर जी ॥
पद:-
लीजै लीजै श्री सतगुरु करि लीजै। कीजै कीजै तन मन अर्पन कीजै॥
दीजै दीजै शब्द पर सुधि दीजै। जीजै जीजै ध्यान धुनि सुनि जीजै॥
बीजै बीजै कहत यहि सब बीजै। मीजै मीजै असुर निज कर मीजै॥
भीजै भीजै नगुदरी क्यों भीजै। छीजै छीजै न आयु काहे छीजै॥
कीजै कीजै दरश हरि के कीजै। सीजै सीजै नूर लय में सीजै॥
चीजै चीजै वचन मम सुख चीजै। पीजै पीजै अमी रस घट पीजै।१२।