४७७ ॥ श्री ठन ठन पाल जी ॥
दोहा:-
बे कसूर जे दण्ड दें ते पाजी हत्यार।१।
उनसे तो मृत्यु भली समय पै करती वार।२।
जग में वै बदनाम हैं तन तजि नर्क को जांय।३।
पल भर कल पावैं नहीं बूड़ैं औ उतिरांय।४।
ठन ठन पाल कहैं सुनो दया धर्म जिन कीन।५।
ते हरि धाम को जात हैं यहां वहां यश लीन।६।