५१० ॥ श्री हलवल शाह जी ॥
पद:-
सिया राम राधे श्याम कमला विष्णु को नित ध्याइये।
मुरशिद से जप विधि जानकर सन्मुख छटा छवि छाइये।
धुनि ध्यान नूर समाधि हो सुधि बुधि वहां बिसराइये।
अनहद बजै हर दम सुनो सुर मुनि के संग बतलाइये।
जियतै में तय करि त्यागि तन जग में न फिर चकराइये।
अनमोल नर का तन कहै हल वल न धोका खाइये।६।