५१२ ॥ श्री भल भल शाह जी ॥
पद:-
भजै सिया राम सब दुख जावै।
सतगुरु से सुमिरन विधि जानै तन मन प्रेम में तावै।
ध्यान प्रकाश समाधि नाम धुनि अनहद नाम सुनावै।
नित दरबार जाय कर देखै सुर मुनि संघ बतलावै।
यह जग सरगुन तन है हरि का जानि हिये हर्षावै।
भल भल शाह कहैं तन तजि कै गर्भ वास में फिर नहिं आवै।६।