५१७ ॥ श्री चोर शाह जी ॥
पद:-
झूठी बातैं न पूकौ भजो हरि हरि हरि।
सतगुरु से जप की विधि जानो तन मन प्रेम में करि कीर कीर।
ध्यान प्रकाश समाधि नाम धुनि पाय जियति जाव मरि मरि मरि।
सुर मुनि मिलैं सुनौ नित अनहद पिओ अमी रहा गिर गिर गिर।
शान्ति दीनता सरधा दाया विश्वास सत्य उर धरि धरि धरि।
चोर शाह कहैं अन्त त्यागि तन जाहु अचल पुर ठरि ठरि ठरि।६।