५१९ ॥ श्री थुक्कन शाह जी ॥
पद:-
सतगुरु से जप विधि जानकर तन मन लगा जो ध्यायगा।
परकाश लय धुनि ध्यान पा सन्मुख में हरि छवि छायगा।
सुर मुनि मिलैं अनहद सुनै अमृत पिये मुसक्यायगा।
नागिन दिखावै लोक सब षट चक्र शोधि घुमायगा।
सातों कमल खिल जांय सुन्दर क्या सुगन्ध उड़ायगा।
थुक्कन कहैं तन त्यागि कै साकेत को चलि जायगा।६।