५२० ॥ श्री नमक हराम जी ॥
पद:-
भाग्य भाजन जाव बन सतगुरु से जप विधि जान कर।
धुनि ध्यान लय परकाश हो सुर मुनि मिलैं नित आन कर।
अनहद सुनो घट में बजै अमृत टपकता पान कर।
प्रिय श्याम की झांकी लखौ सन्मुख हँसौ पहिचान कर।
दीनता औ शान्ति हो उसको भजन यह दान कर।
कहता है नमक हराम निजपुर जाहु तन तजि ज्ञान कर।६।