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५३७ ॥ श्री हल्ला शाह जी ॥


पद:-

शार्दूल का बच्चा ह्वै कर भूल से बना सियार।

सतगुरु करि निज को पहिचान ले असुरन पकरि पछार।

ध्यान समाधि नाम धुनि होवै छाय जाय उजियार।

अमृत पिओ सुनो घट अनहद करें देव मुनि प्यार।

सन्मुख राम सिया की झांकी शोभा अजब सिंगार।

हल्ला कहैं त्यागि तन बैठो चलि साकेत मंझार।६।