५८१ ॥ श्री स्वामी श्याम सिंह जी ॥
पद:-
मान बड़ाई करिखा कूट, ताना कपट त्यागिये फूट।१।
चानक बचन तिखारि क कहना, तन तजि नर्क में पड़िहै रहना।२।
भूषन वसन पाप के ऐहैं, सुक्ख तुम्हैं कबहुँ नहिं देहैं।३।
सतगुरु करि सुमिरन बिधि जानो, निज को चीन्ह लेव निज थानो।४।
दोहा:-
कहैं श्याम सिंह भजन बिन मिलै न अपनी गेह।
या से सतगुरु करि भजो मिली सुगम नर देह।१।