५९८ ॥ श्री सदा सोहागिन जी ॥
पद:-
हर दम श्याम पिया को निरखैं सदा सोहागिन सो हैं।१।
ध्यान प्रकाश समाधि नाम धुनि सुर मुनि के मन मोहैं।२।
तन तजि चलि ससुरे में बैठै पासै में फिर सोहै।३।
लौटि के नैहर फिरि नहिं आवै सुधि बुधि पति छबि मोहै।४।
दोहा:-
सदा सोहागिन कहैं जब, सतगुरु जांय भेटाय।
तब सैंया संग ब्याह हो, सत्य कहौं मैं भाय।१।