६६७ ॥ श्री फुसलावन शाह जी ॥
पद:-
मीन पानी में पियासी रह नहीं सकती कभी।
नाम हासिल हो तो माया गह नहीं सकती कभी।
खेत में टाटी लगी पर चर नहीं सकती कभी।
दिमक में माटी लगी पर मर नहीं सकती कभी।
कहते फुसलावन फिसलना छूटिगा।५।
मिल गये मुरशिद भरम घट फूटिगा।
नाम को जाना वही भव कूटिगा।
जो रहा गाफिल वही यहँ लूटिगा।८।