७८८ ॥ श्री फ़िदा हुसेन जी ॥
पद:-
बिना हरि के भजे सुन तू तेरी किसमत में क्या लिक्खा।
गले पापों क क्या गजरा कपट फुलरा लगा लिक्खा।
जियति भर चोरों की संगति अन्त दोज़ख अदा लिक्खा।
मार हर दम परै ऊपर खाना पीना गंदा लिक्खा।
कौल करके चला वहँ से नहीं सुमिरा जुदा लिक्खा।
फ़िदा कहता गरीबी प्रेम हो तब फिर अदा लिक्खा।६।