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८१४ ॥ श्री गोकरण जी ॥


दोहा:-

राम नाम सुमिरन किहेन, पाठ भागवत कीन।

अन्त समय हरि पुर गयन, सुन्दर बैठक लीन।१।

कहैं गोकरण जौन कई, हरि से करिहै नेह।

ताकी जग में आय के, सुफल भई नर देह।२।