८१५ ॥ श्री परीक्षित जी ॥
दोहा:-
श्री शुकदेव कृपा करी दीन भागवत ज्ञान।
सातै दिन में होय गयो सुनिये मम कल्यान।१।
परनारायण पास मैं पहुँचि गयो हर्षाय।
आनन्द की तहँ हद्द नहिं कहैं परीक्षित गाय।२।
दोहा:-
श्री शुकदेव कृपा करी दीन भागवत ज्ञान।
सातै दिन में होय गयो सुनिये मम कल्यान।१।
परनारायण पास मैं पहुँचि गयो हर्षाय।
आनन्द की तहँ हद्द नहिं कहैं परीक्षित गाय।२।