८३९ ॥ श्री बाले मियां जी ॥
पद:-
श्री अवध में अवधेश ग्रह अवधेश अवधि पै आ गये।
श्री भरथ लखन औ शत्रुहन संग सुजस जग बरसा गये।
धरनी का भार उतारि के सुर मुनि को सुख उपजा गये।
असुरन को मारि के बिष्णु पर दाया के निधि बैठा गये।
गाते हैं हम सब चरित उनका और होकर गा गये।५।
ऐसै यह खेल लगा रहै पढ़ि सुनि के बहु लिखवा गये।
प्रेम तन मन से लगै पल भर में सन्मुख छा गये।
बाले कहैं सुमिरन किया ते मुक्ति भक्ती पा गये।८।