८९१ ॥ श्री बच्चा शाह जी ॥
पद:-
करैं घनश्याम आलिङगन जो उनका भक्त सच्चा है।१।
नहीं मिलते उसे दर्शन जो सुमिरन बिधि में कच्चा है।२।
पड़ा वह मन के फन्दे में खात हर वक्त गच्चा है।३।
बासना चूमती मुख को कहत यह बैन बच्चा है।४।
शेर:-
बच्चा कहैं तन मन से जब तक प्रेम हरि में हो नहीं।
तब तलक दीदार क्या झलकार यारों हो नहीं।१।
द्वैत का परदा हटा दिल आयना को साफ़ कर।
देख लो हरि पास ही में दें खता सब माफ़ कर।२।
चश्म चारों जांय खुल हर दम लखो घनश्याम को।
धुनि ध्यान लै परकाश पावो हो सुफ़ल नर चाम को।३।
जियत में सब तै करो फिर अन्त में हरि धाम लो।
मुरशिद करो तन मन लगा सूरति शबद पथ थाम लो।४।