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१० ॥ श्री बर जोर जी ॥


दोहा:-

पैसा प्राण बचावईं, पैसे प्रान को लेय।

पैसा से रैसा बढ़े, पैसै भोजन देय।

भोजन बस्तर के लिये पैसा चाही पास।

गाड़ि के पैसा जो धरै होवै सत्या नास।४।

पैसा से बहु धर्म हों, पैसै नर्क क द्वार।

पैसा में मति गर्क हो, रहौ फर्क से यार।

जोरि जोरि पैसा धरै, बाँटै करज़ा जाय।

झूठै साधू हैं बने, लोभ के जानो भाय।८।