२०॥ श्री अमी चन्द्र जी॥
पद:-
बस में गर इन्द्रिन कीन चहौ तन को ज़्यादा जल पान न दो।१।
जो चोर घुसे बैठे भीतर इनको कबहूँ बलसान न दो।२।
जीता गर चाहौ तुम इनसे हुसियार रहौ मैदान न दो।३।
गुरु ज्ञान पाय कर दीन रहौ कोइ बिषै पै अपनी बान न दो।४।
पद:-
बस में गर इन्द्रिन कीन चहौ तन को ज़्यादा जल पान न दो।१।
जो चोर घुसे बैठे भीतर इनको कबहूँ बलसान न दो।२।
जीता गर चाहौ तुम इनसे हुसियार रहौ मैदान न दो।३।
गुरु ज्ञान पाय कर दीन रहौ कोइ बिषै पै अपनी बान न दो।४।