२१ ॥ श्री श्याम बिहारी जी ॥
पद:-
लांय लांय मन होत है नसा के बस में यार।१।
भजन कहौ कैसे करैं भई ज़िन्दगी ख्वार।२।
मन तो नाचत फिरत है माला साधे हाथ।३।
या बिधि पार न होंयगे कितनो कूटैं माथ।४।
पद:-
लांय लांय मन होत है नसा के बस में यार।१।
भजन कहौ कैसे करैं भई ज़िन्दगी ख्वार।२।
मन तो नाचत फिरत है माला साधे हाथ।३।
या बिधि पार न होंयगे कितनो कूटैं माथ।४।