६९ ॥ श्री कृपा शंकर जी ॥
पद:-
शंकर भोलानाथ दयाल दया का खोलि खजाना दीजै।
औढर दानी आप कहाते सुर मुनि बेद शास्त्र जश गाते,
हर दम राम नाम मद माते भक्तन अभय नाथ अब कीजै।
माया फौज लिये संग घूमै छिन छिन निरखि निरखि मुख चूमै
अबला पुरुष फंसे जग झूमैं विरथा आयू सारी छीजै।
लै त्रिरशूल इन्हैं अब मारो स्वामी भक्तन प्राण उबारो
मेरी बिनय हृदय में धारो काहे देर करत सुधि लीजै।४।