साईट में खोजें

७० ॥ श्री दया शंकर जी ॥


पद:-

जै श्री पवन तनय बलवान कृपा निधि किरपा करि दुख काटौ।

असुरन फ़ौज बड़ी दुखदाई छिन छिन पकड़ि देत गोतियाई

नेकौं चलत न नाथ उपाई इनको गदा उठाय के डाँटौ।

आप तो राम सिया के प्यारे कहते सब भक्तन रखवारे

हर दम राम नाम उर धारे सो प्रभु खोलि खजाना बाँटौ।

बिनती सुनिये मेरी स्वामी गुनि कर भर लीजै अब हामी

कीजै तन से दुष्टन खामी सब दिशि घट घट जाय के छांटौ।४।