७५ ॥ श्री चतुर दास जी ॥
पद:-
सतगुरु दाया करी कोई कुछ भी कहै या न कहै।
धुनी सुनता हूँ चहै तन ये रहै या न रहै।
इच्छा पूरन है कोई कुछ भी लहे या न लहै।
बैन हम सत्य कहैं कोई गहै या न गहै।
कष्ट हम खूब सहा कोई सहै या न सहै।
सन्मुख घनश्याम कोई मुझ को चहै या न चहै।६।