८९ ॥ श्री ग्वलन शाह जी ॥
शेर:-
बेकार सान मान और कर रहे हो रिस।
अन्त में जमदूत गहैं टांय टांय फिस।१।
स्मरन पाठ कीर्तन पूजन प्रेम की वर्जिस।
नाहीं तो अन्त यारों सब काम हो ढिस मिस।२।
कहते ग्वलन मुरशिद करो दुबिधा ये बैरिन खाक हो।
जियतै में सब तै होय तब तो पाक हो बे बाक हो।३।