१५७ ॥ श्री दशरथी दास जी ॥
चौपाई:-
जल फेरेन की टहल उठावा। तन छूट्यौ हरि पुर हम पावा॥
नाम दशरथी दास हमारा। ब्राह्मण कुल में भा अवतारा।२।
चौपाई:-
जल फेरेन की टहल उठावा। तन छूट्यौ हरि पुर हम पावा॥
नाम दशरथी दास हमारा। ब्राह्मण कुल में भा अवतारा।२।