१५९ ॥ श्री केशव दास जी ॥
चौपाई:-
परभाती सन्तन को दीन्हा। अन्त समय हरि पुर हम लीन्हा॥
केशव दास कहैं कर जोरी। यही टहल ते गति भई मोरी।२।
चौपाई:-
परभाती सन्तन को दीन्हा। अन्त समय हरि पुर हम लीन्हा॥
केशव दास कहैं कर जोरी। यही टहल ते गति भई मोरी।२।