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१८२ ॥ श्री चुप्पन शाह जी ॥


पद:-

भजु मन नाम ताबर तोर।

जाप बिधि सतगुरु से लै कर शान्ति गहु तजि शोर।

ध्यान धुनि परकाश लय हो भजैं तन से चोर।

सुनौ अनहद मिलैं सुर मुनि प्रेम में मन बोर।

सामने तब लखौ हर दम प्रिया नन्द किशोर।

अन्त तन तजि जाहु निजपुर मिटै तोर व मोर।६।