१८४ ॥ श्री लण्ठ शाह जी ॥
पद:-
सतगुरु भक्ती सीता राम। एकै जानौ पृथक है नाम।
सतगुरु भक्ती राधे श्याम। एकै मानौ पृथक है नाम॥
सतगुरु भक्ती श्री नारायण। एकै है हम सत्य बतायन॥
राम नाम भक्ती औ सतगुरु। जो पावै ता को जानौ फुर॥
कृष्ण नाम भक्ती औ सतगुरु। जो जानै सो सकै न जग ढुर॥
बिष्णु नाम भक्ती औ सतगुरु। गह्यो तिन्हैं भव है जिमि गोखुर॥