२५० ॥ श्री कमला पत राम जी ॥
मिलैं सतगुरु बिना प्रिय श्याम नहिं हर वक्त लखने को ।
प्रेम तन मन में भर जावै अमी मिल जाय चखने को।
ध्यान धुनि नूर लय पाकर जगह कर लो तो रखने को ।
सुक्ख जो हो तुम्हीं जानो नहीं ताकत है भखने को ।
होय हासिल नहीं देरी जिसे हो शौक सिखने को।
दीनता शान्ति माता से मिलै जब त्यागि भखने को।६।