२५६ ॥ श्री सुस्त शाह जी ॥
जारी........
जय अमृत बिष दूध मिठाई। जय खोया रबड़ी औ मलाई।
जय श्री दही मही घृत मक्खना। जय श्री कन्द मूल तन रक्खन
जय श्री निद्रा सब श्रम हरनी। जय श्री माया दुख सुख करनी।५०।
जय धनुचाप बाण तूणीरा। जय शँख चक्र गदा गम्भीरा।
जय श्री मुरली सब की प्यारी। जय प्रिय श्याम सर्व सुख कारी।५२।