२६६ ॥ श्री बृषभान कुंवरि जी ॥
पद:-
कीजै सिद्ध राम का नाम।
सतगुरु से सुमिरन बिधि जानो सुफ़ल होय नर नाम।
ध्यान प्रकाश समाधि नाम धुनि होवै बसु औ याम।
अनहद सुनो पिओ घट अमृत सुर मुनि मिलैं तमाम।
सन्मुख रहैं न अन्तर होवैं सिया राम प्रिय श्याम।
अन्त त्यागि तन राम धाम में बैठि करौ बिश्राम।६।