२८० ॥ श्री अष्ट भुजा माता जी ॥
पद:-
अष्ट भुजा कहैं सुनो पुत्र है बीज मंत्र सब सुख का दाता।
सतगुरु करि सुमिरन बिधि जानै तब प्रानी करतल करि पाता।
रंरंरं धुनि होत अखण्डित ध्यान प्रकाश समाधि में जाता।
अनहद सुनै पियै घट अमृत हरि यश सुर मुनि संघ बतलाता।
नागिनि जगै चक्र हों चालू खिलैं कमल क्या महक उड़ाता।५।
सिया राम प्रिय श्याम रमा हरि सन्मुख निरखि निरखि हरखाता।
निर्भय औ निर्बैर जियति ह्वै अधिकारिन को मार्ग बताता।
अन्त त्यागि तन राम धाम चलि बैठि जाय फिर गर्भ न आता।८।