३२८ ॥ श्री जवाहिर दास जी ॥
चौपाई:-
श्री गुरु मोहिं कोठारी कीन्हा। ऋद्धी प्रेम से धरेन औ दीन्हा।१।
अन्त त्यागि तन हरि पुर लीन्हा। सब प्रकार सुख का जहँ जीना।२।
नाम जवाहिर दास कहावा। धीमर जाति सत्य बतलावा।३।
श्री गुरु अज्ञा मानै जोई। ता को कार्य्य सिद्धि सब होई।४।