३२९॥ श्री श्याम दास जी॥
चौपाई:-
श्री गुरु मोंहिं कीन्ह कोतवाला। बाँटि निमंत्रण दीन्ह हवाला।१।
सन्तन से बन्दगी करावा। तन मन प्रेम से उन्हैं बतावा।२।
अन्त समय हरि पुर भा बासा। सब प्रकार तहँ रहत सुपासा।३।
श्याम दास था नाम हमारा। कुर्म बंश में भा अवतारा।४।