३६६ ॥ श्री सांई जान रण्डी जी ॥
पद:-
जय श्री सतगुरु अधम उधारन बसो हमारे सन्मुख में।१।
दीनन को निज पुर बैठारन बसो हमारे सन्मुख में।२।
बिधि की लिखी करम गति टारन बसो हमारी सन्मुख में।३।
तन मन धन तब चरनन बारेन बसो हमारे सन्मुख में।४।
पद:-
जय श्री सतगुरु अधम उधारन बसो हमारे सन्मुख में।१।
दीनन को निज पुर बैठारन बसो हमारे सन्मुख में।२।
बिधि की लिखी करम गति टारन बसो हमारी सन्मुख में।३।
तन मन धन तब चरनन बारेन बसो हमारे सन्मुख में।४।