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३७९ ॥ श्री गाज़ी मियां जी ॥ (२५)


पद:-

वह शंख भी प्रभु ले गये गर दे गये होते हमें।

संसार को किरतार्थ करि फिर जाय हम देते उन्हें।

गाज़ी कहैं वे धन्य हैं जो लेत प्रभु का नाम हैं।

श्री स्वामी रामानन्द जी दिल में बसे बसुयाम हैं।

श्री गुरु बिधि हरि शँभु हैं गुरु ही बने भगवान हैं।

श्री गुरु ध्यान प्रकाश लै, श्री गुरु नाम कि तान हैं।६।