३७९ ॥ श्री गाज़ी मियां जी ॥ (३१)
पद:-
सुमिरौ नाम सुफल हो गुदरी।१।
सतगुरु करि जप भेद जानि लो तब तो हाली सुधरी।२।
जब तक प्रेम भाव नहिं आवै तब तक है गल मुंदरी।३।
गाज़ी कहैं चेतिये भक्तों नहिं तो खाय छछुँदरी।४।
पद:-
सुमिरौ नाम सुफल हो गुदरी।१।
सतगुरु करि जप भेद जानि लो तब तो हाली सुधरी।२।
जब तक प्रेम भाव नहिं आवै तब तक है गल मुंदरी।३।
गाज़ी कहैं चेतिये भक्तों नहिं तो खाय छछुँदरी।४।