॥ श्री हनुमान जी की प्रार्थना ॥(११)
जै रणधीर बीर हनुमान।
दासन में तब श्रेष्ठ कहावत सुर मुनि कीन बखान।
बल अतौल है अंग बज्र का विद्या बुद्धि निधान।३
गदा सदा दहिने कर सोहत सुनत नाम की तान।
राम सिया हर दम रहैं सन्मुख जो सब सुख की खान।
अंधे दोउ कर जोरि के मांगैं मुक्ति भक्ति का दान।६।