१ ॥ श्री अंधे शाह जी ॥(५१)
चौपाई:-
जै श्री सिया राम भगवाना। सुर मुनि सब के प्राण समाना॥
जै राधिका कृष्ण भगवाना। सुर मुनि सब के प्राण समाना॥
जै कमला बिष्णू भगवाना। सुर मुनि सब के प्राण समाना॥
जै गिरिजा शंकर भगवाना। राम नाम का बाँटत दाना।४।
हर से आप बन्यो हनुमाना। सुर मुनि सबहुन कीन्ह बखाना।
अन्धा अपढ़ रहा अज्ञाना। दोउ स्वामी मिलि दीन्ह्यो ज्ञाना॥
राम नाम की जाप को ठाना। सारे चोरन कीन्ह पयाना॥
सिया मातु के ढिग लै जाना। बिनय कीन्ह पायन मन माना।८।