१ ॥ श्री अंधे शाह जी ॥(७५)
पद:-
राम नाम का लेहु शबाब। अन्धे कहैं न रहै अजाब॥
चोर बने घर बैठि शराब। सब आपै ह्वै जाँय लबाब॥
जियति में लूटौ खूब शबाब। चित्रगुप्त नहि लेहिं हिसाब॥
अन्त छोड़ि तन घर हो जाब। निर्भय कोई न देय जबाब।८।
पद:-
राम नाम का लेहु शबाब। अन्धे कहैं न रहै अजाब॥
चोर बने घर बैठि शराब। सब आपै ह्वै जाँय लबाब॥
जियति में लूटौ खूब शबाब। चित्रगुप्त नहि लेहिं हिसाब॥
अन्त छोड़ि तन घर हो जाब। निर्भय कोई न देय जबाब।८।